The smart Trick of Shodashi That Nobody is Discussing

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Oh Lord, the master of universe. You are definitely the Everlasting. You are classified as the lord of every one of the animals and all of the realms, you will be the base of the universe and worshipped by all, without the need of you I am not a soul.

It was below far too, that the great Shankaracharya himself put in the graphic of the stone Sri Yantra, Probably the most sacred geometrical symbols of Shakti. It may however be seen today while in the inner chamber of your temple.

A unique feature on the temple is the fact souls from any religion can and do provide puja to Sri Maa. Uniquely, the temple administration comprises a board of devotees from several religions and cultures.

The underground cavern provides a dome high previously mentioned, and hardly seen. Voices echo fantastically off The traditional stone on the walls. Devi sits inside a pool of holy spring water using a canopy over the top. A pujari guides devotees through the process of paying out homage and getting darshan at this most sacred of tantric peethams.

पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।

चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥

हस्ताग्रैः शङ्खचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां

तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥२॥

दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।

श्रीं‍मन्त्रार्थस्वरूपा श्रितजनदुरितध्वान्तहन्त्री शरण्या

यत्र श्रीत्रिपुर-मालिनी विजयते नित्यं निगर्भा स्तुता

यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञाः

कर्तुं देवि ! जगद्-विलास-विधिना सृष्टेन ते मायया

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के here पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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